भैषज्यरत्नावली आयुर्वेदीय औषध निर्माण हेतु सबसे महत्वपूर्ण ग्रंथ है, जिसे इतना बड़ा सम्मान सम्पूर्ण भारत में प्राप्त हुआ है। रसशास्त्र एवं भैषज्यकल्पना क्षेत्र में 50 वर्षों से अधिक अनुभवी विद्वान प्रोफेसर सिद्धिनन्दन मिश्र कृत सिद्धिप्रदा हिन्दी व्याख्या द्वारा भैषज्यरत्नावली की उपयोगिता और भी बढ़ गई है। प्रोफेसर मिश्र ने इसमें वर्णित प्राय: सभी योगों का मूल स्रोत खोज निकाला है तथा तत्तद् योगों को किन-किन आचार्यों ने पहली बार उद्धत दिया है- इसका उल्लेख भी मिश्र ने अपनी व्याख्या में किया है। Useful book for Ayurveda students.